Anubhuti of Brajesh Kumar |
दिनांक 25-12-99 को जब दीक्षा देते समय गुरुजी मेरे त्रिनेत्र को छुए तो मुझे मेरा सिर, आँख तथा पूरा चेहरा बहुत ही भारी लगने लगा | इसके थोड़े ही सेकेंडो के पश्चात मुझे अपना त्रिनेत्र दिखाई पड़ा और उसके ऊपर भगवान शंकर तथा गुरुजी एक ही रूप में दिखे जिसमे आधा शरीर भगवान शंकर का था और आधा गुरुजी का | गुरुजी गुरुमाता के असिम कृपा से मै साधना में 1 घंटा 50 मिनट (5 बजकर 5 मिनट से 6 बजकर 55 मिनट तक) बैठा | |